गोरखपुर के सहजनवा थाना क्षेत्र के भिटहा गांव में एक युवक की सिर में गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी गई. मृतक की पहचान जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय धीरेंद्र दुबे के रूप में हुई है. पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है. पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपी को पकड़ लिया जाएगा.
राजस्थान की तीनों बिजली वितरण कंपनियां जोधपुर, जयपुर और अजमेर डिस्कॉम 1.40 लाख करोड़ के घाटे में हैं। इस बार घाटे से उबारने के लिए भाजपा सरकार ने पिछले दरवाजे से बिजली कंपनियों में निजीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए हाईब्रिड एन्युटी मॉडल (हेम) लागू किया जा रहा है। इससे बड़े कॉरपोरेट प्लेयर के हाथों में बिजली वितरण व जनरेशन की व्यवस्था जाएगी। ये व्यवस्था जहां कृषि लोड ज्यादा है, वहां लागू की जा रही है। यानी अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र इसके दायरे में आएंगे। इसके लिए तीनों कंपनियों के 33/11 केवी क्षमता के 2332 जीएसएस हेम के दायरे में रखे गए हैं। जीएसएस के पास ही निजी कंपनियां 0.5 से 4 मेगावाट के कुल 6598 सोलर प्लांट स्थापित करेगी। बिजली का सीधे ग्रिड से वितरण होगा। कृषि और घरेलू बिजली के फीडर अलग करने के साथ ऑपरेशन व मेंटेनेंस काम निजी कंपनियां संभालेंगी। यानी सीधे तौर से बड़ी कॉरपोरेट बिजली कंपनियां बिजली उत्पादन करने के साथ ही बिजली बिल बनाएगी, वितरण करेगी। बिल वसूली का काम बिजली कंपनियों के पास ही रहेगा। इसके लिए निजी कंपनियों को प्रति यूनिट की दर से निर्धारित राशि का भुगतान डिस्कॉम्स करेंगी। सालाना 10 हजार करोड़ रु. सब्सिडी से बढ़ता गया घाटातीनों बिजली कंपनियों में 16 लाख से ज्यादा कृषि श्रेणी के बिजली कनेक्शन हैं। इसकी स्वीकृत टैरिफ 5.45 रु. प्रति यूनिट है, लेकिन सरकार किसानों से 90 पैसे प्रति यूनिट ही वसूलती है। शेष 4.55 रु. प्रति यूनिट की सब्सिडी सरकार वहन करती है। ये राशि सालाना 10 हजार करोड़ रु. से ज्यादा होती है। इसका वहन सरकार को करना होता है। बिजली खरीदने के लिए कंपनियों को ये राशि चुकानी पड़ती है। सरकार समय पर इसका भुगतान नहीं करती है और दूसरे मद या पावर जनरेशन कंपनियों को सीधे ट्रांसफर कर देती है। इससे वितरण कंपनियों का घाटा कम नहीं हो रहा है। घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट फ्री बिजली देने से कंपनियों को हर माह 4 हजार करोड़ रु. की सब्सिडी वहन करनी पड़ रही है। कंगाली में घिरी सरकार ये राशि भी नहीं दे रही है । 3 रु./यूनिट में खरीदेंगी, किसान को 90 पैसे में देंगी बिजलीराजस्थान के किसान दिन में बिजली देने की मांग करते रहे हैं। खासकर रबी की सीजन में सर्दी का असर ज्यादा होने से रात में सिंचाई करने में दिक्कत होती है। पीक टाइम में बिजली 10 रु. प्रति यूनिट से ज्यादा महंगी होने के कारण कंपनियां रात में सप्लाई देती हैं। कई बार तो दिन में भी बिजली महंगी होती है। कंपनियां 8 से 10 रुपए पीक अवर्स में बिजली खरीदकर किसानों को सिर्फ 90 पैसे प्रति यूनिट में बेचती है। इससे भी घाटा ज्यादा हो रहा। हेम सिस्टम से 33 केवी जीएसएस के पास ही उसी लोड का सोलर प्लांट लगाने से किसानों को दिन में बिजली मिल जाएगी। ये बिजली 3 रुपए प्रति यूनिट तक ही होगी। इससे कंपनियों को घाटा नहीं होगा। हेम की प्रक्रिया शुरू, निजी कंपनी देखेगी व्यवस्था"ग्रामीण क्षेत्रों के 33 केवी जीएसएस पर हाईब्रिड एन्युटी मॉडल (हेम) लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। टेंडर जारी किए जा रहे है। इससे किसानों को दिन में बिजली आसानी से मिलेगी।" -डॉ. भंवरलाल, एमडी, जोधपुर डिस्कॉम प्रदेश में पहली बार लागू, नए साल से शुरुआत होगी"प्रदेश की बिजली कंपनियों में ये मॉडल पहली बार लागू हो रहा है। नए साल में इसके शुरू होने की संभावना है। अभी जहां पर कृषि लोड ज्यादा है और कुसुम योजना के तहत छोटे प्लांट नहीं लगे हैं, वहां लागू किया जा रहा है।" -केपी वर्मा, एमडी, अजमेर डिस्कॉम
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