विटामिन बी 12 बाॅडी के लिए जरूरी होता है. ये बाॅडी में डीएनए, नर्व, रेड ब्लड सेल बनाने के साथ हेल्दी ब्रेन और इम्युन सिस्टम के लिए इंपोर्टेंस रखता है. लेकिन हमारी बाॅडी इस विटामिन को प्रोड्यूस नहीं करती. इस कमी को डाइट या फिर फूड सप्लीमेंट के जरिए पूरा करना होता है. ऐसे में कुछ ऐसे फूड बता रहे हैं, जिनके सेवन से आप बी 12 की डेफिशिएंसी से बच सकते हैं. आइए इन फूड के बारे में जानते हैं...डेयरी प्रोडक्टडेयरी प्रोडक्ट को विटामिन बी 12 का अच्छा सोर्स माना जाता है. गाय के कम फैट वाले एक गिलास दूध (करीब 250 एमएल) से शरीर को 1.2 माइक्रोग्राम बी 12 मिलता है. ये व्यक्ति की रोज की जरूरत का आधे के करीब होता है. इसी तरह दही से भी विटामिन बी 12 मिलता है. इसमें आंत के स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स भी होते हैं. घर का एक कप दही लगभग 1.2 माइक्रोग्राम बी 12 प्रदान करता है. चीज भी बी 12 का अच्छा सोर्स माना जाता है. इसके प्रकार जैसे पनीर, मोजेरेला, फेटा और स्विस चीज आदि में बी 12 मिलता है. स्विस चीज के एक स्लाइस में लगभग 0.9 माइक्रोग्राम बी 12 होता है.फोर्टिफाइड फूडफोर्टिफाइड फूड भी बाॅडी की बी 12 की जरूरत को पूरा कर सकते हैं. इसमें ब्रेकफास्ट सेरल्स, प्लांट बेस्ड मिल्क जैसे सोया मिल्क, फोर्टिफाइड जूस, न्यूटि्रशनल यीस्ट से भी बाॅडी को पर्याप्त मात्रा में बी 12 मिल सकता है.फर्मेंटेड और प्लांट बेस्ड फूडघर पर बने करीब एक कप पनीर से 1.1 माइक्रोग्राम बी 12 मिलता है. वहीं एक कप फर्मेंटेड मिलेट्स से 0.7 माइक्रोग्राम बी 12 प्राप्त होता है. टेम्पेह, जो एक फर्मेंटेड सोयाबीन प्रोडक्ट होता है. इसके सेवन से 0.7 से 8 माइक्रोग्राम बी 12 प्राप्त होता है. इसी तरह शिताके मशरूम, टोफु, बटर, नोरी में भी कुछ मात्रा में बी 12 पाया जाता है.बी 12 की कमी से किन लोगों को खतरा अधिक?डाइजेस्टिव प्राॅब्लम से जूझ रहे लोगों में बी12 की कमी का रिस्क अधिक होता है.वेजिटेरियन या वीगन डाइट लेने वालों में बी 12 की कमी का जोखिम रहता है.शराब का अधिक सेवन करने वालों में इसकी कमी हो सकती है.50 से ज्यादा उम्र के लोगों में जोखिम अधिक रहता है. शरीर बी 12 को एब्जाॅर्ब नहीं कर पाता. ऐसे में सप्लीमेंट या गंभीर स्थिति में इंजेक्शन का सहारा लेना पड़ता है.प्रेग्नेंसी के दाैरान महिला में बी12 कमी से कोख में बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है. प्रेग्नेंसी के दाैरान बच्चे के ब्रेन और नर्व सिस्टम के डेवलपमेंट में इसकी आवश्यकता होती है.बी 12 के साइड इफेक्टविटामिन बी 12 को बाॅडी कम मात्रा में एब्जाॅर्ब करती है कि अन्य मात्रा यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाती है. इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, लेकिन एक बार में अधिक मात्रा में लेने से डायरिया और इचिंग हो सकती है.ये भी पढ़ें: बार-बार नाक से आ रहा है खून तो हो जाएं सावधान, हो सकती हैं ये बीमारियांDisclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
छोटे बच्चे के दिमाग, फेफड़ों और दिल में माइक्रोप्लास्टिक का मौजूद होना धीरे-धीरे चिंता का विषय बनती जा रही है. एक अध्ययन के अनुसार पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक बच्चे के जन्म से पहले ही उसमें आ जाते हैं. एक पत्रिका में देखा गया कि प्रेग्नेंट चूहे माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आकर सांस के जरिए ये कण उनके अंदर गए. बाद में ये कण उनके बच्चों में भी पाए गए. इस शोध से पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक बच्चे में जन्म से पहले भी आ जाते हैं. माइक्रोप्लास्टिक कैसे करते हैं स्वास्थ्य को प्रभावितशोध से पता चलता है कि प्रेग्नेंट महिलाओं में माइक्रोप्लास्टिक प्लेसेंटा से होकर भ्रूण को प्रभावित कर सकता है. जिससे यह सीधे बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के खतरे में डाल सकता है. ये बच्चे के दिमाग, फेफड़ों और दिल में जमा हो जाते हैं, जो कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है. इनका आकार 5 मिलीमीटर से भी छोटा होता है. इस विषय पर कई एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह प्रेग्नेंट महिलाओं में मेडिकल डिवाइसेस के इस्तेमाल से भी हो सकता है. यह शरीर में खाना, पानी, हवा के जरिए जाता है. माइक्रोप्लास्टिक दिमाग और ब्लड के बीच में रुकावट पैदा करता है. जिससे ब्लड सर्कुलेशन काफी प्रभावित होता है. इसके कण लंबे समय तक शरीर में होने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं-कैंसर होने का खतरा- माइक्रोप्लास्टिक के कण छोटे-छोटे होते हैं. लंबे समय तक शरीर में रहने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे शरीर की सेल्स को नुकसान पहुंचता है. छोटे बच्चों में माइक्रोप्लास्टिक के कण धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करते हैं. सूजन की समस्या- शोध में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक से शरीर में सूजन और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नुकसान पहुंचता है. माइक्रोप्लास्टिक शरीर में ROS को रिलीज करता है, जिससे सूजन और सेल्स प्रभावित होती हैं. हार्मोन्स का संतुलित न होना- माइक्रोप्लास्टिक ऐसे कैमिकल्स पाये जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म, बच्चों की वृद्धि में रुकावट लाते हैं. इन कैमिकल्स को एंडोक्राइन डिसरप्टर के नाम से भी जाना जाता है. ये भी पढ़ें- ये लक्षण दिखें तो समझ जाएं दिल की एंजियोप्लास्टी कराना हो गया बेहद जरूरी, तुरंत जाएं डॉक्टर के पास
साड़ी के साथ किसी स्टाइलिश और फैंसी ब्लाउज डिजाइन सिलवाने की तलाश में हैं तो यहां हम आपके लिए 7 ऐसे डिजाइन लेकर आए हैं जो हर महिला पर फबते हैं और सिंपल साड़ी को भी डिजाइनर लुक दे सकते हैं। देखिए फोटोज-
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