Tranding

संजय कुमार का कॉलम:बिहार की राजनीति में पाला बदलने की कला नई नहीं है

बिहार में चुनावों से पूर्व वहां की राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिलने लगे हैं। होर्डिंग्स, पोस्टर छाए हुए हैं और बड़ी-छोटी रैलियां हो रही हैं। राजनीतिक दलों में भी उथल-पुथल है। लालू यादव द्वारा अपने बेटे तेजप्रताप यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करना इसका ताजा उदाहरण है। स्थापित दलों के नेता भी बिहार की राजनीति में नई पारी की तलाश में पाला बदल रहे हैं। यों, भारत में नेताओं का एक दल से दूसरे दल में जाना असामान्य बात नहीं। लेकिन चुनाव के समय पाला बदलने की गति और आवृत्ति बहुत तेज हो जाती है। अकसर टिकटों के अभिलाषी किसी दूसरी पार्टी से टिकट मिलने पर पाला बदलते हैं। चुनाव में अभी लगभग 5 महीने बाकी हैं, लेकिन नेताओं का दलबदल अभी से देखा जाने लगा है। एक प्रमुख प्रवृत्ति यह दिखाई दे रही है कि विभिन्न दलों के नेता मुख्य रूप से टिकट दिए जाने के वादे के कारण जन स्वराज पार्टी की ओर रुख कर रहे हैं। राजनीति के बदलते परिदृश्य में पार्टी के प्रति वफादारी चुनावी गणित के आगे-पीछे हो जाती है। पिछले दो दशकों में कई प्रमुख नेताओं ने बार-बार अपने राजनीतिक गठबंधन बदले हैं, जो राज्य में गठबंधन राजनीति की अस्थिर प्रकृति को दर्शाता है। इस प्रक्रिया में इन तमाम नेताओं ने बिहार की सत्ता की गतिशीलता को नया रूप भी दिया है। इसमें नीतीश का कोई तोड़ नहीं। 1990 के दशक में समता पार्टी के साथ राजनीतिक सफर शुरू करने के बाद वे जदयू नेता के रूप में भाजपा के साथ गठबंधन में रहे। इस साझेदारी ने ही उन्हें 2005 में मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाया। 2013 में उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया और अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों राजद और कांग्रेस के साथ 2015 के चुनाव से पहले सफल महागठबंधन बनाया। 2017 में वे फिर एनडीए में लौट आए। 2022 में फिर से महागठबंधन को पुनर्जीवित करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। 2024 में फिर एनडीए में लौट आए। वे हमेशा उस पक्ष के साथ खड़े रहते दिखाई देते हैं, जो उन्हें अधिक लाभ देता है। उपेंद्र कुशवाहा ने भी बिहार के राजनीतिक गलियारों में उतार-चढ़ाव भरा रास्ता अपनाया है। नीतीश के पूर्व सहयोगी और जदयू के सदस्य कुशवाहा ने 2013 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का गठन किया और 2014 के आम चुनाव के लिए एनडीए के साथ गठबंधन किया। 2018 में पाला बदलकर यूपीए के साथ गठबंधन कर लिया। 2019 के चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने आरएलएसपी को भंग कर दिया और 2021 में इसे जदयू में वापस मिला दिया। 2023 में उन्होंने फिर से अलग होकर राष्ट्रीय लोक मोर्चा नामक नई पार्टी बनाई। कुशवाहा के कई कदम महत्वाकांक्षा और वैचारिक अवसरवाद के मिश्रण को दर्शाते हैं, जो कुशवाहा वोट बैंक को मजबूत करने की इच्छा से प्रेरित हैं। जीतन राम मांझी- जो कभी जदयू के निष्ठावान सदस्य थे- 2014 में तब मुख्यमंत्री बने, जब आम चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश ने पद छोड़ दिया था। लेकिन जब 2015 में नीतीश ने वापसी की कोशिश की तो मांझी ने इसका विरोध किया और अंततः हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) बनाने के लिए अलग हो गए। शुरुआत में वे एनडीए में शामिल हुए और उसके समर्थन से 2015 का चुनाव लड़ा। बाद में वे 2022 में महागठबंधन में शामिल हो गए। 2023 में फिर से एनडीए में लौट आए। पप्पू यादव ने 2015 में निष्कासित होने से पहले राजद में करियर शुरू किया था। उन्होंने जन अधिकार पार्टी की शुरुआत की। 2024 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया, लेकिन टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ दी। पूर्णिया से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। हाल के चुनावों में वे औपचारिक रूप से किसी प्रमुख गठबंधन का हिस्सा नहीं रहे, लेकिन अलग-अलग समय पर यूपीए और एनडीए दोनों का समर्थन किया है। बिहार में नेताओं के बदलते गठबंधन उस राज्य में गठबंधन-राजनीति की तरल और गतिशील प्रकृति को दर्शाते हैं। नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाह, जीतन राम मांझी और पप्पू यादव जैसे नेताओं ने लगातार अपनी रणनीतियां बदली हैं।(ये लेखक के अपने विचार हैं)

सहेली की शादी में धरा रह गया आलिया भट्ट का स्टाइल, दुल्हन ने लूट ली सारी लाइमलाइट, अप्सरा- सी लगीं तान्या

आलिया भट्ट इन दिनों स्पेन में मस्ती कर रही हैं। हसीना अपनी सहेली तान्या साहा गुप्ता की शादी के लिए विदेश गई हैं। पहले तान्या की शादी के हल्दी वाली फोटोज सामने आई थीं और अब शादी की भी वायरल हो रही हैं। जिन्हें देख एक बात साफ हो गई कि आलिया का अंदाज सहेली के सामने फीका पड़ गया।

नेहा: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईबी पर चौकी की कमान संभालने वालीं बीएसएफ की एकमात्र महिला अधिकारी

(अनिल भट्ट) जम्मू, 28 मई (भाषा) अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर एक पाकिस्तानी चौकी के बिल्कुल नजदीक स्थित सीमा चौकी की कमान संभालने वाली सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी ने जवानों का नेतृत्व करते हुए ‘जीरो लाइन’ के पार शत्रु की तीन अग्रिम चौकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर खामोश कर दिया। नेहा के अलावा छह महिला कांस्टेबल [...]

John Doe

Comments (Please Share your views)

Follow Us

Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020

Advertisement

Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020

Tranding News

Advertisement

Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
Get In Touch

Ashok nager, Delhi, India

909 505 9818

info@indiannews20.store

Follow Us
Flickr Photos
हैवी पीरियड्स से हो गई हैं परेशान? 6 फूड्स जो नहीं होने देंगे कमजोरी, पेन से भी देंगे छुटकारा
प्रदेश की 7 हजार समितियों का कंप्यूटरीकरण होगा:फर्जी तरीके से सहकारी ऋण नहीं उठा सकेंगे, रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से गड़बड़ियां रुकेंगी
केजरीवाल और भगवंत मान के पुतले जलाए जाएंगे, बठिंडा में किसान यूनियन का ऐलान
DRDO ने कर दिखाया गजब का कारनामा, न्यूक्लियर रेडिएशन को बेअसर कर देगी ये देसी दवाई
विधायक मुकेश ने सीवरेज, ड्रेनेज सफाई समेत कई मुद्दों पर निगमायुक्त और अधिकारियों से की चर्चा
Basti News: बोलेरो की टक्कर से तीन टुकड़ों में बंटा ट्रैक्टर, चार लोग घायल
इन 8 शेयरों में ऐसा क्या है कि मोतीलाल ओसवाल ने कह दिया जल्दी से खरीद लो, 32 फीसदी तक मिल सकता है मुनाफा
देवर के साथ मिलकर पति की हत्या, जैसलमेर में पत्नी का खौफनाक कांड; क्या वजह?
नहीं थम रहा बांके बिहारी कॉरिडोर और अध्यादेश का विरोध:पांच दिन से गोस्वामी कर रहे प्रदर्शन,थाली बजाकर जताया आक्रोश

© India News 20. All Rights Reserved. Design by PPC Service