आप दफ्तर में वॉशरूम जाना चाहते हैं। लेकिन आप बेचैन हो रहे हैं, वो इसलिए नहीं कि वॉशरूम में कोई है, बल्कि इसलिए क्योंकि आप अपना चश्मा रखने के लिए कोई ऐसी जगह तलाश रहे है, जो कि लौटने पर याद रहे कि वहां से चश्मा उठाना है। कई बार ऐसा हुआ है कि आप चश्मा कहीं भूल जाते हैं और फिर पूरा ऑफिस उसे ढूंढने में लग जाता है, क्योंकि बिना चश्मे के आप एक लाइन भी नहीं पढ़ सकते। और लेकिन गोगी आपकी इस परेशानी को जानता है। वह तभी आपके पास आता है, बिना कुछ कहे आपके कंधे पर हाथ रखता है। आप मुड़कर उसे धन्यवाद देते हैं, चश्मा उसके चेहरे पर टिकाते हैं और वॉशरूम की ओर दौड़ पड़ते हैं। गोगी आपकी टेबल पर बैठ जाता है और एक तरफ से देखता रहता है कि आप कितनी जल्दी वॉशरूम से लौटते हैं। पर आप पानी के कूलर के पास खड़े होकर दोस्त से बात करने लगते हैं। गोगी को आपका यह समय बर्बाद करने वाला रवैया पसंद नहीं आता। वह गर्दन उठाता है, चश्मे के ऊपर से आपको गुस्से भरी नजर से देखता है, जिसका मतलब है “समय बर्बाद मत करो, आकर अपना चश्मा ले लो, मुझे रोहित की मदद करनी है।” आप दोस्त से माफी मांगते हैं, कहते हैं “गोगी इंतजार कर रहा है, मुझे जाना है,” और दौड़कर गोगी को धन्यवाद देते हैं। गोगी बिना कुछ कहे ऑफिस के कोने में रोहित के पास चला जाता है। बाहर से देखने वालों को ये अजीब लग सकता है कि गोगी ने कुछ नहीं कहा, पर ऑफिस के लोग इसकी वजह जानते हैं। चलिए मैं आपका परिचय गोगी से कराता हूं। उसके केआरए (की रिजल्ट एरिया) की पहली लाइन है कि वह किसी को दुखी नहीं करेगा और केआरए की दूसरी लाइन है कि वह ऑफिस में सभी को खुश रखेगा। यही वजह है कि उसे चीफ हैप्पीनेस ऑफिसर (सीएचओ) का पद दिया गया है! बेंगलुरु के गोगी की तरह, लैरी इंग्लैंड में काम करता है, पोशी और लियो दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से इसी पद पर हैं। अब बताइए, इन चारों में क्या समानता है? मुझे मालूम है, आपके दिमाग में क्या आ रहा होगा। आप सोच रहे होंगे, ये कैसा सवाल है। जवाब तो खुद सवाल में ही है, जाहिर है वे सभी सीएचओ हैं। पर मैं बता दूं कि आपका जवाब गलत है। इन सभी के चार पैर और एक पूंछ है और वे अलग-अलग नस्लों के डॉग्स व कैट हैं। ये सब हाल ही में तब खबरों में आए जब हैदराबाद स्थित एक स्टार्टअप ‘हार्वेस्टेड रोबोटिक्स’ में एक गोल्डन रिट्रीवर डेनवर को इसी पद पर भर्ती किया गया। डेनवर कोडिंग नहीं करता, वह बस गोगी की तरह देखभाल करता है। वह बस आता है, दिल जीतता है और ऊर्जा बनाए रखता है। उसका काम सभी कर्मचारियों के आने से पहले शुरू होता है, वह दरवाजे पर उनका स्वागत करता है, डेडलाइन्स में दबे लोगों के पास बैठता है और चुपचाप उनका मनोबल बढ़ाता है। वे ऑफिस में क्या करते हैं? उनका मुख्य काम आपको और मुझे उत्पादक बनाना है! आप ताज्जुब कर रहे होंगे कि कैसे? वे आपके शरीर में तनाव लाने वाले कोर्टिसोल हॉर्मोन को कम करते हैं और अच्छा महसूस कराने वाला हार्मोन ऑक्सीटोसिन को बढ़ाते हैं। सीएचओ नियुक्त करने के पीछे विज्ञान है। डॉग स्वाभाविक रूप से लोगों का तनाव हल्का करते हैं, एक अपनापन पैदा करते हैं और लोगों को माइंडफुलनेस तरीके से थोड़ा विराम लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं- यह कुछ ऐसा है, जो अधिकांश कर्मचारियों को चाहिए लेकिन वे शायद ही कभी करते हैं। और डॉग्स जानते हैं कि डेडलाइन्स इंसानों को नहीं मार सकते लेकिन संबंधों का अभाव मार सकता है। इसलिए वे आपके पास आते हैं और आपसे जुड़ते हैं ताकि आप और हम उत्पादकता बढ़ा सकें। फंडा यह है कि नियोक्ताओं को ऑफिस में हंसी-खुशी वाला कल्चर बनाना चाहिए और इसे प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि आपके कर्मचारी भी हंसते-मुस्कराते हुए घर जाएं और फिर गोगी से मिलने के लिए भी हंसते-खिलखिलाते हुए दफ्तर आएं और इस तरह यह सिलसिला यूं ही चलता रहे।
कोविड-19 भले ही अब पैंडेमिक न रह गया हो, लेकिन इसका वायरस लगातार रूप बदलता जा रहा है। अमेरिका में हाल ही में एक नया कोविड वैरिएंट NB.1.8.1 सामने आया है, जो तेज़ी से फैल रहा है। इसकी वजह से गर्मियों में एक बार फिर संक्रमण बढ़ने की चिंता जताई जा रही है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस नए वैरिएंट को “वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” घोषित किया है, यानी उस पर निगरानी रखी जा रही है। अभी यह कहना जल्दीबाज़ी होगी कि इससे संक्रमण के मामलों में भारी बढ़ोतरी होगी या नहीं, लेकिन अमेरिका और अन्य देशों में इसके फैलाव को देखकर विशेषज्ञ सतर्क हो गए हैं।इस वैरिएंट की सबसे खास बात है इसका तेज़ प्रसार और कुछ ऐसे जेनेटिक बदलाव, जो पिछले वैरिएंट्स से अलग हैं। अच्छी खबर ये है कि मौजूदा कोविड वैक्सीनेशन अब भी इस पर असरदार हो सकता है। लेकिन मास्क पहनना, भीड़ से बचना और वैक्सीनेशन अपडेट रखना अभी भी हमारी सुरक्षा की पहली पंक्ति है।(Photo credit):Canva
नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) खनन समूह वेदांता मौजूदा कर्ज चुकाने और पूंजीगत व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए बिना गारंटी वाले गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिये 4,100 करोड़ रुपये जुटा रहा है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आवंटन ज्ञापन के मुताबिक, इसमें ग्रीनशू यानी अधिक अभिदान आने पर उसे रखने के [...]
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